आस्था- जीवन का आधार

 To read this article in English, please click here


आपने मशहूर टीवी चैनल "आस्था" की टैगलाइन तो जरूर सुनी होगी—"आस्था: जीवन का आधार।" लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस साधारण से वाक्य के पीछे कितनी गहरी सोच छिपी हैयह सिर्फ एक नारा नहींबल्कि जीवन की जड़ों तक पहुँचने का एक प्रयास है। इस एक छोटे से वाक्य में छिपी गहराई को समझने के लिए हमें खुद के भीतर झांकना होगा और जीवन में आस्था के वास्तविक अर्थ को महसूस करना होगा।

आस्था जीवन के उस पहलू को छूती है जो अदृश्य हैफिर भी हर व्यक्ति उसे अपने ढंग से महसूस करता है। हम एक अग्नोस्टिक एथीस्ट हैंयानी हम ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास नहीं करते। हमें लगता है कि ईश्वर मानव की कल्पना हैऔर वह हमारे जीवन की समस्याओं को सुलझाने के लिए नहीं आता। फिर भी, हम हर दिन पूजा अवश्य करते हैंमंत्र और श्लोकों का पाठ भी करते हैं। तो आपको लग रहा होगा कि ये कैसी नास्तिकता जो पूजन करें? तो आपको इसे समझने के लिए थोड़ा गहराई से सोचना होगा। यह पूजा किसी चमत्कार की उम्मीद में नहींबल्कि हमारे लिए एक याद दिलाने वाला अभ्यास है। क्या याद करना चाहते है हम? पूजा के माध्यम से हमें उन नैतिक मूल्यों की याद आती है जिनका प्रतीक हमारे द्वारा पूज्य देवता हैं। सत्यधैर्यकरुणा और आत्मानुशासन जैसे गुण हमें हर दिन प्रेरित करते हैंऔर यही हमारी आस्था का वास्तविक अर्थ है। हम पवन पुत्र और अंजनी के लाल जैसी शक्ति, भक्ति एवं युक्ति पाना चाहते है और इन मूल्यों के प्रती प्रयासरत रहते है। हम कौशल्या पुत्र राम की भांति चरित्रवान बनना चाहते है और हमेशा नैतिकता के मार्ग पर चलते हैं। यदुनंदन श्रीकृष्ण की सीख पर चलते हुए निष्काम कर्म योग एवं अपनी योग्यतानुसार धर्म संस्थापन में लगें रहते हैं। अनुशासन का सबसे बड़ा उदाहरण सूर्यदेव को हर सुबह अर्घ्य देते समय हम अपने जीवन को भी अनुशासित रखने का प्रयास करते है, तभी आप पाएंगे कि आम तौर पर हम सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण नही करते। आशा करते हैं, आपको अब ये बात साफ होगी कि पूजन के दौरान हमारी आस्था इन व्यक्तियों से न होकर, शास्त्रों में इनके द्वारा रचे गए मूल्यों से हैं।

आस्था केवल धार्मिक विश्वास तक सीमित नहीं है। यह एक आंतरिक शक्ति है जो हमें विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने की ताकत देती है। महात्मा गांधी का जीवन इस बात का उदाहरण है कि आस्था कैसे हमें रास्ता दिखाती है। गांधी जी ने कहा था, "आस्था वह पक्षी है जो सुबह के अंधेरे में भी प्रकाश देखता है।" उनके लिए आस्था केवल ईश्वर में नहीं थीबल्कि मानवता और सत्य में भी थी। इसी आस्था ने उन्हें ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अहिंसक आंदोलन का नेतृत्व करने की शक्ति दी। जब पूरी दुनिया में हिंसा का बोलबाला थातब गांधी जी की आस्था ने उन्हें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर अडिग रहने का साहस दिया।

आस्था का दूसरा पहलू यह है कि यह हमारे जीवन को एक दिशा देती है। हम जब कठिनाइयों में होते हैंतब आस्था ही वह बल होती है जो हमें आगे बढ़ने का साहस देती है। एक किसानजो सालों से सूखे का सामना कर रहा हैफिर भी हर साल बीज बोता हैयह उसकी आस्था है। उसे पता है कि भगवान बारिश नहीं लाएंगेलेकिन उसकी आस्था उसे हर दिन नई उम्मीद और संघर्ष की प्रेरणा देती है।

मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीनजो की एक नास्तिक थे, उन्होंने कहा था, "आस्था हमें वह देखने में मदद करती है जो हमारी आँखें नहीं देख पातीं।" उनके लिए ईश्वर में आस्था का मतलब यह नहीं था कि कोई अदृश्य शक्ति हमारे जीवन को नियंत्रित कर रही है। उनके लिए आस्था एक अन्वेषण थी—जीवन और ब्रह्मांड के उन रहस्यों को समझने की कोशिशजो सीधे तौर पर हमें दिखाई नहीं देते। इसी तरहहमारा भी मानना यह है कि पूजा या धार्मिक अनुष्ठान का उद्देश्य किसी चमत्कार की उम्मीद करना नहींबल्कि खुद को याद दिलाना है कि हम किस दिशा में जा रहे हैंऔर हमें किन गुणों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है।

जब जीवन के संघर्ष और चुनौतियाँ हमारे मन को अशांत करती हैंतब प्रार्थना या ध्यान आस्था का एक रूप बन जाते हैंजो हमें आंतरिक शांति देते हैं। उदाहरण के लिएमदर टेरेसा का जीवन सेवा और करुणा का प्रतीक था। उन्होंने कहा था, "मैं प्रार्थना करती हूंन कि ईश्वर को बदलने के लिएबल्कि खुद को बदलने के लिए।" उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि आस्था हमें न केवल हमारे कठिन समय में सहारा देती हैबल्कि हमें खुद के भीतर झांकने और बेहतर बनने की प्रेरणा भी देती है।

साथ हीआस्था हमें समुदाय और संबंधों से भी जोड़ती है। धार्मिक अनुष्ठान जैसे पूजायज्ञप्रार्थना सभाएँ सिर्फ व्यक्तिगत अनुभव नहीं होतेबल्कि यह समाज को एकजुट करने का माध्यम भी होते हैं। एक धार्मिक आयोजन में शामिल होने से हमें यह एहसास होता है कि हम एक बड़े समूह का हिस्सा हैंजहां सभी लोग समान उद्देश्य और आस्था के साथ एकजुट होते हैं। इस प्रकार आस्था एक व्यक्तिगत अनुभव से बढ़कर एक सामुदायिक भावना का निर्माण करती है।

आस्था हमारे सोचनेमहसूस करने और कार्य करने के तरीके को गहराई से प्रभावित करती है। यह हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करनेसही दिशा में आगे बढ़ने और स्थिरता प्राप्त करने की शक्ति देती है। आस्था केवल एक अदृश्य शक्ति पर निर्भरता नहीं हैबल्कि एक आंतरिक प्रेरणा है जो हमें खुद पर और हमारे चारों ओर की दुनिया पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करती है। यही आस्था जीवन को दिशा देती है और इसका आधार बनाती है। 

Comments

Popular posts from this blog

वास्तविकता का अवलोकन: जैसी वह है, न कि जैसे हम हैं

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता हैं..